बाढ़

समूचे भारतवर्ष में मानसून में आने वाली एक भयंकर विभीषिका है बाढ़।जो कि प्रत्येक सरकार चाहे वह राज्य की हो या केंद्र की हो सबको पता है कि हमारे यहां बाढ़ आएगी,बाढ़ से प्रभावित होने वाले लोगों को भी पता है कि इस क्षेत्र में बाढ़ का खतरा है लेकिन उसके बाद भी हर वर्ष हम बाढ़ में इतना सारा नुकसान उठाते हैं।कई सारे जंगली जीव मारे जाते हैं।भयंकर धन हानि होती है और कुछ हद तक जनहानि भी होती है पूरी व्यवस्था चौपट होती है।बाढ़ को लेकर अभी तक हमारे देश में कोई भी एक निश्चित योजना नहीं है कि जबकि हमें पता होता है कि मानसून में ही बाढ़ आएगी तो क्यों ना हम उन जगहों पर मानसून आने के पहले ही कुछ उपाय करें वहां से लोगों को हटा दें।

मेरी नजर में बाढ़ से बचने का एक सटीक उपाय है नदी जोड़ो परियोजना जो कि काफी दिनों से मैं सुन रहा हूं और कुछ ऐसा एक सिस्टम बनाएं जिससे कि हम जहां पर भी पानी इकट्ठा हो उसको हम पंप करके दूसरी जगह पर पहुंचा दे तो, जिस धन को हम लोगों के बचाव में खर्च करते हैं उस धन को हम अगर पानी को इधर-उधर भेजने में खर्च कर दें तो वहां पर सूखे की समस्या भी समाप्त होगी और बाढ़ से राहत भी मिलेगी और किसी को कोई परेशानी भी नहीं होगी।

पुलिस वालों की शहादत

आज उत्तर प्रदेश में एक दर्दनाक घटना घटी एक गैंगस्टर से मुठभेड़ में पुलिस वाले शहीद हुए। सारे पुलिस वाले अधिकारी स्तर के थे अगर तकनीकी रूप से देखा जाए तो उनको अच्छी ट्रेनिंग मिली थी अच्छा माइंडसेट रहा होगा फिर भी एक गैंगस्टर से मुठभेड़ में शहीद हो गए

मेरी नजर में जो कारण है वह यह है कि पुलिस वालों की शहादत पुलिस विभाग की आदत की वजह से हुई। कोई भी गैंगस्टर पुलिस पर गोली चलाने की हिम्मत तभी उठा पाता है जब पुलिस का शह रहता है उसको पहले कभी,और जब बात बिगड़ जाती है तो ऐसे हादसे होते हैं वरना एक सामान्य आदमी पुलिस को देखते ही अपना रास्ता बदल लेता है।अगर किसी ने पुलिस पर गोली चलाने की हिम्मत दिखाई तो जरूर उसका पुराना रिश्ता रहा होगा दोस्ती वाला। सबको पता है कि पुलिस और अपराधियों के बीच में कैसे दोस्ती चलती है।जब तक यह दोस्ती खत्म नही होगी तब तक अपराध खत्म नहीं होगा। हमको बीच बीच में ऐसे हादसे देखने को मिलते रहेंगे। पुलिस अपने आचरण को सुधारे अपराधियों को अपराधी और पीड़ित को पीड़ित समझे।

आज सामान्यतया आम जनता की सहानुभूति पुलिस के साथ नहीं रहती इसका प्रमुख कारण है पुलिस का आचरण,पुलिस अपना आचरण सुधारें आम जनता का आशीर्वाद उन को वैसे ही मिलेगा जैसे आम जनता का प्रेम हमारी सेना को मिलता है।

पुलिस समाज की सेवा के लिए जरूरी है पुलिस का स्थान भारतीय प्रशासन में बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन पुलिस कर्मचारी खुद अपने महत्व को नहीं समझते और सिर्फ अपनी जेब को महत्त्व देते हैं।

चीनी चक्रव्यूह को भेदता भारत

शीर्षक थोड़ा रोचक और थोड़ा अजीब है।चीन ने कोरोनावायरस का जो चक्रव्यूह पूरे विश्व में रचा उसको भारत जिस चतुराई और सफलता के साथ भेद रहा है पूरे विश्व के लिए वह आश्चर्य की बात है। भारत की जनता भी अधिकांश अपनी सरकार के साथ उस चक्रव्यूह को भेदने में पूर्ण रूप से साथ दे रही है।अभी हाल फिलहाल में सरकार ने बहुत कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जोकि थोड़े कष्टप्रद लग रहे हैं कष्टपप्रद इसलिए क्योंकि इस मुश्किल घड़ी में कुछ तो कड़वी दवाई लेनी पड़ेगी।यह कड़वी दवाई हम सबको लेनी पड़ेगी क्योंकि आगे हमारा भविष्य बहुत ही सुंदर है।इस चक्रव्यूह को भेदने के बाद हम जब इस जंग को जीतेंगे तब हम बहुत ही अच्छे भविष्य में कदम रखेंगे।तो जरूरत है कि हम सरकार का साथ दें और इस चीनी चक्रव्यू को भेदे,आत्मनिर्भर बनें और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करें और ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी तकनीक से स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन करके उसको निर्यात करने की सोचें।

जब स्वदेशी के निर्यात की बात आती है तब वहां पर सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सरकार की है कि सरकार पूरे विश्व पटल पर भारत के व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक आयोग का गठन करें और उस आयोग कि जिम्मेदारी हो कि वह भारतीय वस्तुओं के लिए विदेशी बाजार खोजें और उनकी मदद करें उस विदेशी बाजार में अपना पैर जमाने के लिए हर संभव मदद उपलब्ध कराई जाए स्वदेशी व्यापारियों को।

आज चीन और भारत के विदेशी व्यापार में जो सबसे मुश्किल बात है वह है दोनों देशों की कर संरचना भारत की कर संरचना थोड़ी जटिल है।अगर इसको सरकार सरल बनाएं तो भारत के व्यापारी निश्चित ही पहले की तरह पूरे विश्व में भारतीय उत्पादों का लोहा मनवाएंगे।

भारत को अपनी बौद्धिक संपदा के निर्यात पर रोक लगानी होगी तभी भारत आत्मनिर्भर बनेगा और भारत का निर्यात आयात से ज्यादा होगा।जब तक हम अपनी बौद्धिक संपदा का निर्यात करते रहेंगे तब तक हम एक अच्छे निर्यातक नहीं बन पाएंगे।हम हमेशा आयातक ही रहेंगे तो जरूरी है कि हम अपनी बौद्धिक संपदा के निर्यात को रोके और लोगों को प्रोत्साहित करें कि सरकार उनके साथ है वह जो भी जोखिम उठाएंगे उस जोखिम में सरकार की सहायता करें क्योंकि जब भी कोई व्यक्ति कोई नया कदम उठाता है तो उससे सरकार को फायदा होता है लेकिन जब उसको घाटा होता है तो सरकार को उसकी मदद करनी चाहिए क्योंकि ऐसे जोखिम से कभी-कभी व्यापारी और व्यापारिक जगत बहुत लंबे समय के लिए टूट जाता है और ऐसे नुकसान बहुत ही घातक होते हैं।

उम्मीद है सरकार आत्मनिर्भर भारत के लिए अपनी कर संरचना और लालफीताशाही में बहुत ही जल्द बहुत ही दुरुस्त सुधार करेगी जिससे देश के व्यापारियों को,देश के नागरिकों को बहुत ही फायदा होगा और भारत विश्व में प्रथम स्थान पर रहेगा।

भारतीय राजनीति,एक व्यापार

राजनीति एक सेवा का माध्यम है ऐसा हम सभी लोग पढ़ते हैं सुनते हैं और कुछ हद तक समझते भी है,कि हां सेवा करने के लिए राजनीति में सक्रिय होना बहुत जरूरी है। कुछ सेवा करने वाले सामाजिक लोग तो सामाजिक कार्य ही इसी वजह से करते हैं कि उनको कल को राजनीति के बाजार में अपनी एक दुकान खोलनी है।

राजनीति के व्यापार में बहुत सारे शॉपिंग कॉन्प्लेक्स हैं छोटी दुकानें हैं बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब भी हैं।जहां पर विचारधारा के अनुसार, अपने फायदे के अनुसार तथाकथित राजनेताओं को तैयार किया जाता है।लोगों के मन को समझने के लिए वैसे ही योजना बनाई जाती है जैसे कि अन्य कंपनियां अपने नए प्रोडक्ट को बाजार में लाने के लिए पहले से ही बाजार का अध्ययन करते हैं।

भारत में प्रमुख राजनीतिक कंपनियां है भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,वामपंथी दल कुछ प्रमुख क्षेत्रीय दल और इनके सहयोगी संगठन इनकी दुकानों की श्रंखला है।वह बिल्कुल वैसे ही है जैसे कि किसी भी बड़ी कंपनी की होती है एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी मे होलसेलर फिर रिटेलर बिल्कुल वैसे ही होता है केंद्रीय राजनीति,राज्य की राजनीति फिर नगरपालिका की राजनीति,नगर पंचायत और ग्राम पंचायत की राजनीति। जहां पर इन लोगों की होती हैं अपनी राजनीति की दुकान। राजनीति की दुकानों पर उनके लोगों का वर्चस्व होता है और अपनी कमाई के लिए भरपूर इस्तेमाल करते हैं।

अब बात आती है राजनीतिक व्यापार से देश की आम जनता को क्या फायदा होता है?देश की आम जनता को उतना ही फायदा होता है जितना कि हमें अपनी मनपसंद कंपनी के सामान को लेने से होता है।हम किसी भी कंपनी का सामान अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार लेते हैं उसी तरह से हम जिस भी राजनीतिक कंपनी को देश चलाने के लिए चुनते हैं हमको भी वैसा ही फायदा होता है।

हर राजनीतिक कंपनी चुनाव में अपना विचार बेचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाती हैं।

आज आजादी के इतने सालों बाद बहुत सारी राजनीतिक कंपनियां एक परिवार की संपत्ति बन चुकी है।अब बात आती है कि हमे देश चलाने के लिए कौन सी कंपनी चाहिए?मेरी नजर में इस समय देश चलाने के लिए सबसे मुफीद राजनीतिक कंपनी जो है वह भारतीय जनता पार्टी है,क्योंकि इस कंपनी मैं अभी भी आम लोगों के लिए कुछ गुंजाइश है कि वह इस राजनीतिक कंपनी में जाकर देश को आगे बढ़ाने में सहयोग दे सकते हैं।बाकी कंपनियों में तो उच्च पदों पर उनके परिवार की पीढ़ी दर पीढ़ी आने वाले नए सदस्य विराजमान रहेंगे।

आज के वक्त में भारतीय राजनीति का पूर्णतया बाजारीकरण हो चुका है।यह देश के लिए दुखद है क्योंकि आज के वक्त में हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि जो इन कंपनियों के नुमाइंदे होते हैं।हमें इन कंपनी के नुमाइंदों में से ही किसी एक को चुन कर अपने लिए संसद भेजना है और इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यह कंपनियां हमारे साथ जो वादा करेगी वह वादा पूरा ना होने पर हम कौन से न्यायालय में जाकर कौन से उपभोक्ता फोरम में जाकर इनके खिलाफ वाद दाखिल करके न्याय प्राप्त कर सकेंगे। ऐसी कोई व्यवस्था हो कि राजनीति कंपनियों का घोषणा पत्र पूरा ना होने पर उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया जा सके।

इसलिए हमेशा हमें याद याद रखना है कि हम जब भी किसी राजनीतिक कंपनी के नुमाइंदे को चुने तो उस प्रोडक्ट की जांच परख करके तभी उसको हम संसद भेजें। इन राजनीतिक कंपनियों को चलाने में परोक्ष रूप से तमाम व्यावसायिक कंपनियों का हाथ होता है जो कि अपने लाभ के अनुसार किसी कंपनी को प्रमोट करते हैं और किसी कंपनी को नीचे लाते हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस

आज विश्व पर्यावरण दिवस है मानसून आने वाला है।सबके पास अच्छा मौका है अपने पर्यावरण को बचाने के लिए हम पौधारोपण करें अभी करें या जुलाई अगस्त के महीने में करें और उस पेड़ की हिफाजत करें।हम ऐसे वृक्ष लगाएं जिसमें कि हमारे पक्षियों को भी सहारा मिले पशुओं को छांव मिले।ऐसे पेड़ ना लगाएं जो सिर्फ सजावटी या दिखावटी टाइप के हो।वृक्ष ऐसे हो जिसके फल को खाकर चिड़ियों का गुजारा हो सके। पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि और आवरण। इतना तो सबको पता होगा पर्यावरण का मतलब क्या है तो सीधी सी बात है कि हम एक पर्यावरण में रहते हैं और जब यह पर्यावरण खत्म हो जाएगा तो हम खुद खत्म हो जाएंगे। तो हमें खुद को खत्म होने से बचाने के लिए इस पर्यावरण को बचाना है और पर्यावरण को बचाना हैं तो हमे हर पशु पक्षी को बचाना है हर तरह के वृक्षों को बचाना है हर तरह की वनस्पतियों को बचाना है।हमें उनको सच में बचाना है ना कि हमें उनको बचाने का नाटक करना है।बचाने के नाटक से आशय है कि बहुत सारे लोग फोटो खिंचवाने के लिए वृक्षों की टहनी तोड़कर उसको ऐसे पोज देकर लगाते हुए फोटो पोस्ट करते हैं कि नहीं उन्होंने तो वास्तव में पेड़ लगाया है जबकि उन्होंने पेड़ लगाया नहीं एक पेड़ से एक डाली को अलग किया है वह पर्यावरण का नुकसान कर रहे हैं वह पर्यावरण को फायदा नहीं पहुंचा रहे किसी भी तरह से।

सामाजिक स्तर पर पर्यावरण बचाने के लिए हम वर्षा जल संरक्षण, नये उगे पौधों की सुरक्षा करके भी हम पर्यावरण को बचाने में बहुत कुछ मदद कर सकते हैं।क्योंकि जैसे-जैसे भूजल का स्तर नीचे जाएगा हमारे बड़े वृक्ष जो पुराने वृक्ष है वह कमजोर होंगे और आंधी तूफान में वृक्षों के गिरने का प्रमुख कारण यह भी है की उनको उतनी मात्रा में पानी नहीं मिल पाता उतनी मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते कि वह मजबूती से आंधी तूफान का मुकाबला कर सके।

हमें अनावश्यक यातायात के लिए पेट्रोल डीजल कारों का या किसी भी तरह की यांत्रिक मशीनरी का उपयोग नहीं करना है क्योंकि यांत्रिक मशीनरी ऊर्जा से चलती है और वह ऊर्जा हमें किसी ना किसी तरह के कार्बन उत्सर्जन के बाद ही मिलती है तो कार्बन उत्सर्जन सीधे तौर पर पर्यावरण के लिए बहुत ही हानिकारक है।

जिस प्रकार से हम अपने आप को सुंदर दिखाने के लिए अपने कपड़ों का चयन बहुत ही अच्छे से और मन से करते हैं उसी तरह से हमें अपने को सुरक्षित रखने के लिए उतनी ही लगन से अपने पर्यावरण को बचाने के बारे में भी सोचना है तभी हम सुंदर और हरी भरी धरती में सुकून और चैन से रह पाएंगे नहीं तो अभी तो एक कोरोना है और ना जाने कितनी सांस की बीमारियां और भी ना जाने कितनी तरह की एलर्जी या और भी बीमारी आएंगी जो कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से ही हो रही है।

अभी हाल ही में भारत में और विश्व में कई जगह पर टिड्डी दल के हमले हमने देखे और सुने हैं इन दलों का हमला भी पर्यावरण से छेड़छाड़ का ही नमूना है हम अपने पर्यावरण से एक घटक को गायब करते हैं तो हमारा पूरा सिस्टम चरमरा जाता है।

संपूर्ण पर्यावरण एक जाल की तरह है इस जाल को अगर हम नष्ट करेंगे तो पूरा जाल ही नष्ट हो जाएगा। अभी कुछ ही धागे जाल के नष्ट हुए हैं वक्त है हम सबक लें और उन धागों की मरम्मत कर के पर्यावरण के जाल को वापस से मजबूत और सुदृढ़ बनाए। जय हिंद।

नया भारत

आज 1 जून है अनलॉक 2.0। बहुत सारे उद्योग धंधे,कार्यालय, दुकान एक निश्चित दिशा निर्देश के अनुसार शुरू हो रहे हैं।हमने कोरोनावायरस महामारी के बीच सकारात्मक रूप से मुस्कराते हुए पूरी सावधानी से अपना दूसरा कदम बढ़ाया है सम्पूर्ण विश्व की तरक्की के लिए। उम्मीद है कि भविष्य में अब हम किसी भी ऐसी महामारी को पनपने नहीं देगे।हमने बहुत कुछ सकारात्मक सबक लिए है इस महामारी से।हम सब अपनी आय के एक निश्चित हिस्से को बचत के रूप मे सम्भाल कर ऐसी किसी आपदा के लिए रखेंगे, अनावश्यक के खर्च को जरूरी नहीं मानेगे।गैर जरूरी यात्रा को करने से बचेंगे।हम अपने लोगो से बेहतर व मजबूत सम्बंध हमेशा बरकरार रखेगे क्योंकि इस अकेलेपन हम सब ने एक दूसरे का साथ निभाया है।

आज भारत नयी कामयाबी की ओर कदम रख रहा है क्योंकि भारत सकारात्मक सोच वाले इंसानो का देश है।हम सब मिलकर एक नया और पहले से ज्यादा शक्तिशाली भारत बनाएंगे।

हम सबको अनुशासित रहकर सभी निर्देशो का अनुपालन करना है। ज्यादा कुछ नही करना है बस हम सबको खुद को सुरक्षित करना है एक दूसरे की मदद करनी है।हम सब खुद को सुरक्षित रखेगे तो हमारा समाज एवं देश स्वतः सुरक्षित हो जाएगा।

इस आपदा के दौर में हम सबने खुद को मजबूत बनाया है।अब बारी है हम सब अपने घरो से निकले और देश की प्रगति के पहिए को आगे तेजी से बढ़ाए।

आप सभी का नये भारत मे स्वागत है।आप सबको मेरी तरफ से बेहतर भविष्य की ढेरो शुभकामनाए।

जय हिंद।

आज स

रविवार

पूरी दुनिया में रविवार को एक छुट्टी का दिन माना जाता है।लेकिन अभी कोरोना की वजह से कुछ लोगों के लिए या बहुत से लोगों के लिए सभी दिन छुट्टी का दिन है।लेकिन सामान्य दिनों में रविवार को भी छुट्टी का दिन नहीं मान सकते हैं क्योंकि रविवार के दिन भी बहुत सारे काम होते हैं रविवार हमको मौका देता है अपने बीते 6 दिन में जो हमने काम किया है उसके आत्ममंथन और चिंतन का और अगले हफ्ते के आने वाले 6 काम काजी दिनों के बारे में योजनाएं बनाने का।पढ़ने वाले लोगों के लिए रविवार माना जाता था कि जो हमने 6 दिनों में पड़ा है उसको एक बार वापस से दोहरा ले या आगामी 6 दिन में जो चलने वाला है उसकी आउटलाइन देखें।कुछ लोगों के लिए रविवार छुट्टी और मौज मस्ती करने का दिन है।उन लोगों की जिंदगी सामान्य रूप से चलती रहती है। लेकिन जो लोग रविवार का सही उपयोग करते हैं उनकी जिंदगी सामान्य लोगों के मुकाबले थोड़ी अच्छी या बहुत ही व्यवस्थित तरीके से चलती है और वह अपने जीवन में तरक्की जरूर करते हैं। रविवार का सही उपयोग छात्रों के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन आजकल छात्र ही रविवार का सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं जिसका खामियाजा उन को अपने जीवन में जरूर उठाना पड़ता है और फिर बाद में पछतावा होता है।रविवार प्रत्येक सप्ताह का सबसे महत्वपूर्ण दिन है इसे छुट्टी वाला दिन समझ कर गलती ना करें रविवार एक अवसर है आगामी सप्ताह अच्छा बनाने का।जब हम कोई योजना बनाते हैं तो उसको साल के अनुसार या महीनों के अनुसार बनाते हैं लेकिन महीने की जो इकाई होती है वह सप्ताह है। हम महीने को 4 सप्ताह में बांटते हैं हम हर एक सप्ताह मे अपनी योजना का मूल्यांकन करते हैं कि हमें अमुक सप्ताह पर अपनी योजना के अनुसार किस स्टेज पर है और हमे किस स्टेज पर होना चाहिए।

चीन बनाम भारत युद्ध में भारत की स्थिति

चीन से युद्ध में हम जरूर जीतेंगे क्योंकि हमारी सेना चीन के मुकाबले बहुत बेहतर स्थिति में है। चीनी सेना के पास भारत जैसे लड़ाकू और जुझारू जवान नहीं है।हमारे पराक्रम की कहानियां पूरे विश्व को पता है। हमने कारगिल जीता हो या १९६५ की जीत १९७१ जीता हो सियाचिन में जीता हो या हाईफा में जीता हो या बैटल आफ सारागढ़ी हो।हमने अपने पराक्रम के परचम कर मौके पर लहराए है।चीनी सेना ने 1962 में जब हम पर हमला किया था तो उस समय भी उन्होंने धोखे से ही हमला किया था और उस समय हमारी राजनीतिक गलती की वजह से हम वह जंग हारे नहीं तो हम उसमे भी चीन को पटक देते। 1962 के बाद जब हमने 1967 में चीन को हराया तब से आज तक उनकी हिम्मत नहीं हुई है हमसे सीधी लड़ाई करने की। चीनी सिर्फ और सिर्फ धमकी देते हैं और चोरों के जैसे घुसपैठ करके माहौल को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं। चीनी सरकार की एक संतान पालिसी की वजह से आज उसके पास सभी ऐसे जवान है जो अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। चीनी सेना अधिकतर जवान बिगड़ैल और आलसी हैं। चीनी सेना बाहर से जितनी मजबूत दिखती है वह हकीकत में बहुत ही कमजोर है इसीलिए हम कहीं भी पूरे विश्व में चीनी सेना के पराक्रम की कोई खबर या चीनी सेना द्वारा संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में किसी भी तरह के सहयोग की कोई खबर नहीं पाते है।क्योंकि चीनी जवानों के अंदर वह क्षमता ही नहीं है कि वह लड़ाई कर सके।बस वामपंथी विचारधारा वाला चीन सिर्फ और सिर्फ हवा बनाकर जंग को जीतना चाहता है या डराकर कमजोर देशों पर अपना कब्जा करना चाहता है।जबकि भारत के मामले में ऐसा कुछ नहीं है भारत तकनीकी रूप से बहुत ही सक्षम है और भारत एक युवा देश है भारत की सेना के जवान की बहादुर और साहसी है।भारतीय जवानों की बहादुरी का पूरे विश्व में कोई मुकाबला नहीं है।चीन की सेना सिर्फ परेड, वीडियोस और फिल्मों की वजह से अपनी सेना को प्रचारित करके विश्व में नंबर 1 दिखाना चाहती है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है वह जब भी भारतीय सेना से लड़ाई लड़ेंगे हमेशा मुंह की खांएगे।

चीन से युद्ध की स्थिति में भारत को और मजबूत स्थिति में रखने के लिए हम सबको अपनी सरकार अपनी सेना के साथ हमेशा खड़े रहना है। हमें तकनीकी रूप से और अधिक सक्षम होना है और कभी भी ऐसे फैसले नहीं लेने हैं जिसकी वजह से भारत के जवानों का मनोबल नीचे हो अपने जवानों का अपने देश के अंदर बहुत ही ज्यादा सम्मान करना चाहिए। बिहार के दिनों में एक खबर आई थी एक लेफ्टिनेंट में एक चीनी सेना के अधिकारी के मुंह पर मुक्का जड़ दिया था। उस लेफ्टिनेंट को सेना ने सम्मानित किया ऐसे सम्मान से सेना के जवानों का हौसला बढ़ेगा और वह पूरी बहादुरी के साथ चीन को पराजित करेगे और देश को हमेशा सुरक्षित और अखंड रखेगे। चीनी सेना के एक कारनामे की अभी खबर आई थी युद्ध प्रभावित सूडान में एक सिविलियन साइट को प्रोटेक्ट करना था। लेकिन वहां पर जब उन्होंने विद्रोहियों को देखा तो उन निहत्थे नागरिकों को छोड़कर चीनी सेना वहां से भाग गयी।आप इस एक उदाहरण से ही चीनी सेना की बहादुरी का अंदाजा लगा सकते हैं, लेकिन अगर यह भारतीय जवान होते तो अपनी जान पर खेलकर निर्दोष नागरिकों की हिफाजत जरूर करते।

कोरोना वायरस और भारत

कोरोनावायरस एक वैश्विक महामारी है।जिस से निपटने के लिए संपूर्ण विश्व प्रयासरत है।तरह-तरह की अफवाहें हैं कि यह वायरस चीन से फैला है यह चमगादड़ से आया है या पैंगोलिन से आया है या चीन ने एक जैविक युद्ध छेड़ा है जो उसके विरोधी देश है उनके खिलाफ।कुछ भी हो लेकिन गौर करने की बात […]

कोरोना वायरस और भारत

कोरोना वायरस से नए अवसर भी उत्पन्न हुए हैं जैसे कि बहुत सारे ऑफिस के काम घर बैठे किया जा सकते हैं।प्रकृति ने एक पाठ पढ़ाया हमको की प्रकृति को तुम खुद अपनी आदतों पे नियंत्रण करके साफ कर सकते हो। अपने लोगों से जुड़ने का मौका मिला, अतीत की गलतियों को सोचने का मौका,मिला भविष्य की नई योजनाएं बनाने का मौका मिला,खुद के अंतर्मन को साफ करने का मौका मिला।लॉक डाउन की आफत को कुछ लोगों ने अवसर में भी बदला है कई अवसर भी उत्पन्न हुए हैं।एक चीज तो साफ है कि दुनिया में कुछ भी होता है उसके दो पहलू जरूर होते एक अच्छा और बुरा।

कोरोनावायरस रोकने में सरकार असफल रही है।सरकार के असफल होने का प्रमुख कारण हम सब देशवासी हमारे देश का विपक्ष और हमारी अपनी अवधारणाएं रही है।तो हम सरकार को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहरा सकते हैं सरकार को दोषी ठहराने से अच्छा है कि हम खुद को ही एक बार अपने मन में झांक कर देखें कि क्या वाकई हमने सरकार का सहयोग किया? नहीं हमने सरकार का सहयोग नहीं किया।हमने तो उनको अपने मन मुताबिक डाला अपनी सुविधा के हिसाब से सोचा कि नहीं लाकडाउन में शराब मिलनी चाहिए,लाकडाउन में यह खुलना चाहिए लाकडाउन में वह खुलना चाहिए।लाकडाउन मे हमको आदत डालनी चाहिए थी अपने न्यूनतम जरूरतों के साथ जीवन जीने की।हम खुद को न्यूनतम जरूरतों के साथ अगर इस लाकडाउन में ढाल लेते यह वायरस इतने भयावह रूप से ना फैलता।अभी वक्त है कि हम खुद को संयमित करें अपनी सुरक्षा और अपने चारों तरफ के लोगों को भी जागरूक कर कर इस वायरस को आसानी से हरा सकते हैं।

कोरोना वायरस और भारत

कोरोनावायरस एक वैश्विक महामारी है।जिस से निपटने के लिए संपूर्ण विश्व प्रयासरत है।तरह-तरह की अफवाहें हैं कि यह वायरस चीन से फैला है यह चमगादड़ से आया है या पैंगोलिन से आया है या चीन ने एक जैविक युद्ध छेड़ा है जो उसके विरोधी देश है उनके खिलाफ।कुछ भी हो लेकिन गौर करने की बात है कि हम इंसान इस तरह के भयावह महामारी से लड़ने के लिए किस हद तक तैयार है। हम भूल गए थे कि भविष्य में कभी ऐसी महामारी भी आ सकती है हमारी आवासीय व्यवस्थाएं यातायात के साधन सब कुछ बिल्कुल भीड़ भरा हो चुका है।हम उस व्यवस्था को भूल गए जिसमें की मानव छोटे-छोटे समूह में रहता था छोटे गांव छोटे मजरे या छोटी-छोटी सेपरेट कॉलोनी में रहता था। अगर हम छोटे समूहों में होते हैं तो कम्युनिटी स्प्रेड जैसे खतरे की संभावना बहुत कम होती है।और उस समूह को बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है उसका निदान किया जा सकता है। दूसरी सबसे बड़ी कमी भारत में हुई यहां की अज्ञानता और लोगों में एक विश्वास अनिश्चितता का माहौल हर आदमी एक दूसरे से बहुत ही ज्यादा दिल के करीब है जिसकी वजह से उनको लगा कि अगर मरना ही है तो हम अपने लोगों के बीच में जाकर मेरे अरे भाई अपने लोगों के बीच में जाकर मरना अच्छी बात नहीं है।यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें आप अपने लोगों के बीच में मरने की इच्छा करके खुद उन को मारने के लिए आप व्यवस्था कर रहे हैं तो क्या आप अपने लोगों के हत्यारे बनेंगे,?

भारत में लाकडाउन असफल होने का प्रमुख कारण यह भी था की घर आ जाओ मरना है तो साथ मरेंगे ऐसी मानसिकता की वजह से बीमारी फैलती जा रही है।