आज विश्व पर्यावरण दिवस है मानसून आने वाला है।सबके पास अच्छा मौका है अपने पर्यावरण को बचाने के लिए हम पौधारोपण करें अभी करें या जुलाई अगस्त के महीने में करें और उस पेड़ की हिफाजत करें।हम ऐसे वृक्ष लगाएं जिसमें कि हमारे पक्षियों को भी सहारा मिले पशुओं को छांव मिले।ऐसे पेड़ ना लगाएं जो सिर्फ सजावटी या दिखावटी टाइप के हो।वृक्ष ऐसे हो जिसके फल को खाकर चिड़ियों का गुजारा हो सके। पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि और आवरण। इतना तो सबको पता होगा पर्यावरण का मतलब क्या है तो सीधी सी बात है कि हम एक पर्यावरण में रहते हैं और जब यह पर्यावरण खत्म हो जाएगा तो हम खुद खत्म हो जाएंगे। तो हमें खुद को खत्म होने से बचाने के लिए इस पर्यावरण को बचाना है और पर्यावरण को बचाना हैं तो हमे हर पशु पक्षी को बचाना है हर तरह के वृक्षों को बचाना है हर तरह की वनस्पतियों को बचाना है।हमें उनको सच में बचाना है ना कि हमें उनको बचाने का नाटक करना है।बचाने के नाटक से आशय है कि बहुत सारे लोग फोटो खिंचवाने के लिए वृक्षों की टहनी तोड़कर उसको ऐसे पोज देकर लगाते हुए फोटो पोस्ट करते हैं कि नहीं उन्होंने तो वास्तव में पेड़ लगाया है जबकि उन्होंने पेड़ लगाया नहीं एक पेड़ से एक डाली को अलग किया है वह पर्यावरण का नुकसान कर रहे हैं वह पर्यावरण को फायदा नहीं पहुंचा रहे किसी भी तरह से।
सामाजिक स्तर पर पर्यावरण बचाने के लिए हम वर्षा जल संरक्षण, नये उगे पौधों की सुरक्षा करके भी हम पर्यावरण को बचाने में बहुत कुछ मदद कर सकते हैं।क्योंकि जैसे-जैसे भूजल का स्तर नीचे जाएगा हमारे बड़े वृक्ष जो पुराने वृक्ष है वह कमजोर होंगे और आंधी तूफान में वृक्षों के गिरने का प्रमुख कारण यह भी है की उनको उतनी मात्रा में पानी नहीं मिल पाता उतनी मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते कि वह मजबूती से आंधी तूफान का मुकाबला कर सके।
हमें अनावश्यक यातायात के लिए पेट्रोल डीजल कारों का या किसी भी तरह की यांत्रिक मशीनरी का उपयोग नहीं करना है क्योंकि यांत्रिक मशीनरी ऊर्जा से चलती है और वह ऊर्जा हमें किसी ना किसी तरह के कार्बन उत्सर्जन के बाद ही मिलती है तो कार्बन उत्सर्जन सीधे तौर पर पर्यावरण के लिए बहुत ही हानिकारक है।
जिस प्रकार से हम अपने आप को सुंदर दिखाने के लिए अपने कपड़ों का चयन बहुत ही अच्छे से और मन से करते हैं उसी तरह से हमें अपने को सुरक्षित रखने के लिए उतनी ही लगन से अपने पर्यावरण को बचाने के बारे में भी सोचना है तभी हम सुंदर और हरी भरी धरती में सुकून और चैन से रह पाएंगे नहीं तो अभी तो एक कोरोना है और ना जाने कितनी सांस की बीमारियां और भी ना जाने कितनी तरह की एलर्जी या और भी बीमारी आएंगी जो कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से ही हो रही है।
अभी हाल ही में भारत में और विश्व में कई जगह पर टिड्डी दल के हमले हमने देखे और सुने हैं इन दलों का हमला भी पर्यावरण से छेड़छाड़ का ही नमूना है हम अपने पर्यावरण से एक घटक को गायब करते हैं तो हमारा पूरा सिस्टम चरमरा जाता है।
संपूर्ण पर्यावरण एक जाल की तरह है इस जाल को अगर हम नष्ट करेंगे तो पूरा जाल ही नष्ट हो जाएगा। अभी कुछ ही धागे जाल के नष्ट हुए हैं वक्त है हम सबक लें और उन धागों की मरम्मत कर के पर्यावरण के जाल को वापस से मजबूत और सुदृढ़ बनाए। जय हिंद।